31-12-95  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

‘‘डायमण्ड वर्ष में फरिश्ता बनकर बापदादा की छत्रछाया और प्यार की अनुभूति करो’’

आज विश्व को सच्चे डायमण्ड समान चमकाने वाले, प्रकृति को भी डायमण्ड समान चमकाने वाले, विश्व की आत्माओं में से अपने डायरेक्ट बच्चों को डायमण्ड बनाने वाले, साथ-साथ नये वर्ष के साथ नव-युग, नये-विश्व स्थापन करने वाले बाप डायमण्ड बनने वाले बच्चों को देख रहे हैं। साकार स्वरूप में भी बापदादा के सामने कितने डायमण्ड चमक रहे हैं और विश्व के कोने-कोने में चारों ओर चमकते हुए डायमण्ड देख रहे हैं। आत्मा सभी के मस्तक में चमकती हुई डायमण्ड कितनी अच्छी लगती है! सामने से चमकती हुई आत्मा डायमण्ड और इतने संगठित रूप में चारों ओर डायमण्ड ही डायमण्ड देखने में दृश्य कितना प्यारा लगता है! तो ये संगठन किसका है? डायमण्ड्स का है ना? चाहे नम्बरवार हैं फिर भी चमक रहे हैं। चमकते हुए डायमण्ड की सभा बाप के सामने है। आप भी क्या देख रहे हो? डायमण्ड देख रहे हो ना कि शरीर देख रहे हो? 63 जन्म शरीर को ही देखा लेकिन अभी शरीर में चमकता हुआ डायमण्ड दिखाई देता है? कि छिपा हुआ है इसलिए कभी दिखाई देता है, कभी छिप जाता है?

डायमण्ड जुबली है, तो जुबली में क्या होता है? क्या सजाते हैं? आजकल वेरायटी लाइट्स की सजावट ज्यादा होती है। आप लोग भी वृक्ष में यहाँ-वहाँ लाइट लगाते हो ना? वो तो एक दिन के लिए जुबली मनायेंगे या क्रिसमस मनायेंगे या कोई भी उत्सव मनायेंगे लेकिन आप क्या मना रहे हो? डायमण्ड दिवस कहते हो या डायमण्ड वर्ष कहते हो? (डायमण्ड वर्ष) डायमण्ड वर्ष मना रहे हो - पक्का? अगर यही सभी का दृढ़ संकल्प है कि डायमण्ड वर्ष मना रहे हैं, तो आपके मुख में गुलाब-जामुन हो। तो मनाना अर्थात् बनना। तो सारा वर्ष डायमण्ड बनेंगे कि थोड़ा-थोड़ा दाग लगेगा? बापदादा तो बच्चों का उमंग-उत्साह देख पद्मगुणा डबल मुबारक देते हैं। आज डबल है ना, एक नया वर्ष और दूसरा डायमण्ड जुबली - दोनों का संगठन है। तो डायमण्ड वर्ष में बापदादा यही विशेषता देखना चाहते हैं कि हर बच्चे को जब देखो, जिसे देखो तो चमकता हुआ डायमण्ड ही दिखाई दे। मिट्टी के अन्दर वाला डायमण्ड नहीं, चमकता हुआ डायमण्ड। तो सारे वर्ष के लिए ऐसे डायमण्ड बन गये? क्योंकि संकल्प तो आज करना है ना कि डायमण्ड बनेंगे भी और देखेंगे भी। चाहे वो दूसरी आत्मा काला कोयला भी हो, एकदम तमोगुणी आत्मा हो लेकिन आप क्या देखेंगे? कोयला देखेंगे या डायमण्ड? डायमण्ड देखेंगे, अच्छा। तो आपकी दृष्टि पड़ने से उसका भी कालापन कम होता जायेगा। डायमण्ड जुबली में यही सेवा करनी है ना? अमृतवेले से लेकर रात तक जितनों के भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आओ तो डायमण्ड बन डायमण्ड देखना है। ये पक्का किया है या डायमण्ड जुबली मनाना है तो हर स्थान पर सिर्फ दो तीन फंक्शन किया और डायमण्ड जुबली हो गई? फंक्शन करो, निमन्त्रण दो, जगाओ, ये तो करना ही है और कर भी रहे हैं लेकिन सिर्फ फंक्शन नहीं करने हैं, इस डायमण्ड जुबली में डायमण्ड बन डायमण्ड देखना, डायमण्ड बनाना, ये रोज का फंक्शन है। तो रोज फंक्शन करेंगे या दो-चार दिन, सप्ताह करेंगे?

इस वर्ष में बापदादा की विशेष यही सभी बच्चों के प्रति शुभ आशा कहो वा श्रेष्ठ श्रीमत कहो कि डायमण्ड के बिना और कुछ नहीं बनना है। कुछ भी हो जाये डायमण्ड में दाग नहीं लगाना। अगर किसी भी विघ्न वश हो गये या स्वभाव के वश हो गये तो दाग लग गया। विघ्न तो आने चाहिए ना? विघ्न विनाशक टाइटल है तो विघ्न आयेंगे तब तो विनाश होंगे? अगर कोई विजयी कहे कि दुश्मन नहीं आवे लेकिन मैं विजयी हूँ तो कोई मानेगा? नहीं। तो विघ्न तो आयेंगे, चाहे प्रकृति के, चाहे आत्माओं के, चाहे अनेक प्रकार की परिस्थितियों के विघ्न आये लेकिन आप डायमण्ड ऐसे पावरफुल हो जो दाग का प्रभाव नहीं पड़े। ये हो सकता है?

यह डायमण्ड जुबली वर्ष महान् वर्ष है। जैसे कोई विशेष मास मनाते हैं ना तो ये डायमण्ड जुबली वर्ष महान् वर्ष है। बापदादा इस वषर् में सभी को चलता-फिरता फरिश्ता देखना चाहते हैं। कई कहते हैं कि आत्मा को देखने की सिर्फ सेवाकेन्द्र कल्याणी नहीं, विश्व कल्याणी बनो। 84 कोशिश तो करते हैं लेकिन आत्मा बहुत छोटी बिन्दी है ना तो शरीर दिखाई दे देता है। तो बापदादा कहते हैं चलो बिन्दी खिसक जाती है लेकिन फरिश्ता रूप तो लम्बा-चौड़ा शरीर है, वो तो बिन्दी नहीं है ना, फरिश्ता माना लाइट का आकार। तो फरिश्ते स्वरूप में स्थित होकर हर कर्म करो। ऐसा नहीं है कि फरिश्ता रूप में कर्म नहीं कर सकते हो। कर सकते हो कि साकार चाहिये? क्योंकि साकार शरीर से बहुत जन्मों का प्यार है। तो भूलना चाहते हैं लेकिन भूल नहीं पाते। तो बाप कहते हैं अच्छा अगर आपको शरीर को ही देखने की आदत पड़ गई है तो कोई हर्जा नहीं, अभी लाइट का शरीर देखो। शरीर ही चाहिए तो फरिश्ता भी शरीरधारी है। और आप सभी कहते भी हो कि शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा से बहुत प्यार है। तो प्यार का अर्थ है समान बनना। तो जैसे ब्रह्मा बाबा फरिश्ता रूप है ऐसे ब्रह्मा बाप समान फरिश्ता स्वरूप में स्थित होकर हर कर्म करो। क्योंकि जब डायमण्ड जुबली मना रहे हो, स्थापना के 60 वर्ष सम्पन्न हुए, तो विशेष स्थापना के निमित्त शिव बाप तो है लेकिन निमित्त ब्रह्मा बाबा बना। आप भी अपने को शिव कुमार और शिव कुमारी नहीं कहते हो। ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी कहते हो। तो ब्रह्मा बाप के स्थापना के कार्य की जुबली मना रहे हो। तो जिसकी जुबली मनाई जाती है उसको क्या दिया जाता है? (गिफ्ट) तो आप सभी गिफ्ट देंगे? कि ये गुलाब का पुष्प ले आकर देंगे और कहेंगे कि गिफ्ट हो गई। कोई हाथी ले आयेगा, कोई घोड़ा ले आयेगा, ये गिफ्ट तो है मनोरंजन। ये मनोरंजन भी अच्छा है। सभी देखकरके खुश होते हैं। आज घोड़ा नाच रहा है, आज कोई मनुष्य नाच रहा है, खिलौने देखकर खुश होते हैं। वो भले लाना लेकिन ब्रह्मा बाप को दिल पसन्द गिफ्ट कौन-सी देंगे? देखो, किसी को भी गिफ्ट दी जाती है तो देखा जाता है इसको क्या पसन्द है? देखते हैं कि यह ये पसन्द करेगा या नहीं करेगा? तो ब्रह्मा बाप को क्या प्रिय है? कौन-सी गिफ्ट उसको अच्छी लगती है? बाप के दिल पसन्द गिफ्ट है चलता-फिरता फरिश्ता स्वरूप। तो फरिश्ता समान बन जाओ। फरिश्ते रूप में कोई भी विघ्न आपको प्रभाव नहीं डालेगा। आपके संकल्प, वृत्ति, दृष्टि - सब डबल लाइट हो जायेंगे। तो गिफ्ट देने के लिए तैयार हो? (हाँ जी) देखना आपका टेप भी हो रहा है। अच्छी बात है गोल्डन दुनिया को लाने के लिए फरिश्ते बनेंगे तो जैसे हीरा चमकता है ऐसे आपका फरिश्ता रूप चमकेगा। ये अभ्यास अच्छी तरह से करते रहो।

अमृतवेले उठते स्मृति में लाओ - मैं कौन? फरिश्ता हूँ। संकल्प तो करते हो और चाहते भी हो, फिर भी जब अपनी रिजल्ट देखते हो वा लिख करके भी देते हो, तो मैजारिटी कहते हो कि जितना चाहते हैं उतना नहीं हुआ। 50 परसेन्ट हुआ, 60 परसेन्ट हुआ। तो डायमण्ड जुबली में भी ऐसे परसेन्टेज़ में होंगे या फुल में होंगे? क्या होगा? डबल फोरेनर्स बोलो परसेन्टेज़ होगी? हाँ या ना? थोड़ा-थोड़ा छुट्टी दें! शक्तियों में परसेन्टेज होगी? हाँ उमंग से नहीं करते, सोच के करते हैं। डबल विदेशी या भारत वाले अगर परसेन्टेज़ के बिना फुल पास हो गये तो ब्रह्मा बाबा पता है क्या करेगा? (शाबास देंगे) बस, सिर्फ शाबास दे देगा! और क्या करेगा? रोज़ आपको अमृतवेले अपनी बाहों में समा लेगा। आपको महसूसता होगी कि ब्रह्मा बाबा की बाहों में, अतीन्द्रिय सुख में झूल रहे हैं। बड़ी-बड़ी भाकी मिलेगी। ब्रह्मा बाबा का बच्चों के साथ बहुत प्यार है ना तो अमृतवेले भाकी मिलेगी और सारा दिन क्या मिलेगा? जैसे चित्रों में दिखाते हैं ना, कि जब तूफान आया, पानी बढ़ गया तो सांप छत्रछाया बन गया। उन्होंने तो श्रीकष्ण के लिए स्थूल बात दिखा दी है लेकिन वास्तव में ये है रूहानी बात। तो जो फरिश्ता बनेगा उसके सामने अगर कोई भी परिस्थिति आई या कोई भी विघ्न आया तो बाप स्वयं आपकी छत्रछाया बन जायेंगे। करके देखो। क्योंकि ऐसे ही बापदादा नहीं कहते हैं। अच्छा।

जिन बच्चों की डायमण्ड जुबली है वो हाथ उठाओ। अभी डायमण्ड जुबली वालों से बापदादा बात करते हैं, आप लोगों ने 14 वर्ष में योग तपस्या की तो विघ्न कितने आये लेकिन आपको कुछ हुआ? तो बापदादा छत्रछाया बना ना, कितनी बड़ी-बड़ी बातें हुई। सारी दुनिया, मुखी, नेतायें, गुरू लोग सब एन्टी हो गये, एक ब्रह्माकुमारियाँ अटल रही, प्रैक्टिकल में बेगरी लाइफ भी देखी, तपस्या के समय भिन्न-भिन्न विघ्न भी देखे। बन्दूक भी आई तो तलवारें भी आई, सब आया लेकिन छत्रछाया रही ना। कोई नुकसान हुआ? जब पाकिस्तान हुआ तो लोग हंगामें में डरकर सब छोड़कर भाग गये। और आपका टेनिस कोर्ट सामान से भर गया। क्योंकि जो अच्छी चीज़ लगती थी, वो छोड़ें  कैसे, उससे प्यार होता है ना, तो जो सिन्धी लोग उस समय एन्टी थे वो गाली भी देते थे और सामान भी दिया। जो बढ़िया-बढ़िया चीजें थीं वो हाथ जोड़कर देकर गये कि आप ही यूज़ करो। तो दुनिया वालों के लिए हंगामा था और ब्रह्माकुमारियों के लिए पांच रूपये में सब्जियों की सारी बैलगाड़ी थी। पांच रूपये में सब्जियाँ। आप कितने मजे से सब्जियाँ खाते थे। तो दुनिया वाले डरते थे और आप लोग नाचते थे। तो प्रैक्टिकल में देखा कि ब्रह्मा बाप, दादा - दोनों ही छत्रछाया बन कितना सेफ्टी से स्थापना का कार्य किया। तो जब इन्हों को अनुभव है तो क्या आप अनुभव नहीं कर सकते? पहले आप। जो चाहे, जितना चाहे इस डायमण्ड वर्ष में छत्रछाया का और ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल अनुभव कर सकते हो। ये इस वर्ष को वरदान अर्थात् सहज प्राप्ति है। ज्यादा पुरूषार्थ नहीं करना पड़ेगा। पुरूषार्थ से थक जाते हो ना। जब कोई पुरूषार्थ करके थक जाता है तो उस समय बापदादा उसका चेहरा देखते हैं, रहम भी बहुत आता है। तो अभी क्या करेंगे? क्या बनेंगे? फरिश्ता। फरिश्ता रूप में चलनाफिरना यही डायमण्ड बनना है। क्योंकि जो बहुत कीमती, मूल्यवान, बेदाग डायमण्ड होता है उसकी निशानी क्या होती है? उसे लाइट के आगे रखो तो चमकेगा और जब चमकता है तो उससे किरणें निकलती हैं, उसमें भिन्न-भिन्न रंग दिखाई देते हैं। तो जब आप रीयल डायमण्ड बनेंगे, फरिश्ता बन जायेंगे तो आपके फरिश्ते स्वरूप से ये अष्ट शक्तियाँ दिखाई देंगी। जैसे वो रंग किरणों के रूप में दिखाई देते हैं, ऐसे आप डायमण्ड अर्थात् फरिश्ता रूप बनो तो चलते-फिरते आप द्वारा अष्ट शक्तियों के किरणों की अनुभूति होगी। कोई को आपसे सहनशक्ति की फीलिंग आयेगी, कोई को आपसे निर्णय करने के शक्ति की फीलिंग आयेगी, कोई से क्या, कोई से क्या शक्तियों की फीलिंग आयेगी। आप जितना ज्यादा अभ्यास करेंगे, मानो अभी कल से नया वर्ष भी शुरू होगा और डायमण्ड जुबली भी शुरू होगी तो कल से अर्थात् पहला मास जो जनवरी है उस एक मास में आप फरिश्ता रूप में अभ्यास करेंगे और दूसरा मास आयेगा उसमें आपका अभ्यास और बढ़ेगा, तीसरे मास में और बढ़ेगा और जितना-जितना बढ़ता जायेगा ना उतना-उतना आप द्वारा औरों को महसूसता होगी। समझा? तो ये है ब्रह्मा बाप की गिफ्ट। सभी देंगे या कोई-कोई देगा?

अच्छा, मधुबन वाले भी गिफ्ट देंगे ना! मधुबन वाले तो हाँ जी में होशियार हैं। (ज्ञान सरोवर में भी मुरली सुन रहे हैं) ज्ञान सरोवर वाले फरिश्ते बन जायेंगे और ये जो ट्रांसलेट कर रहे हैं, माइक वाले, लाइट वाले, सभी को डबल लाइट, फरिश्ता बनना है। मुश्किल तो नहीं लगता है? 63 जन्म इस शरीर से प्यार है, तो मुश्किल नहीं होगा? जो दृढ़ निश्चय रखते हैं तो निश्चय की विजय कभी टल नहीं सकती। चाहे पांच ही तत्व या आत्मायें कितना भी सामना करें लेकिन वो सामना करेंगे और आप समाने की शक्ति से उस सामना को समा लेंगे। क्योंकि अटल निश्चय है। ये 60 वर्ष जो स्थापना के चले इसमें भी आदि से कमाल ब्रह्मा बाप और अनन्य बच्चों का रहा। कभी निश्चय में हलचल नहीं हुई। विजय हुई पड़ी है, यही बोल सदा ब्रह्मा बाप के रहे।

तो आज विशेष ब्रह्मा बाप ने सभी बच्चों को विशेष मुबारक और बहुतबहुत प्यार दिया। जितने भी हो, चाहे चार लाख हो, चाहे 14 लाख हो, लेकिन ब्रह्मा बाप की भुजायें इतनी बड़ी हैं जो 14 लाख भी एक साथ भुजाओं में समा सकते हैं। इसीलिये परमात्मा का भक्ति मार्ग में विराट रूप दिखाते हैं, जिसमें सब समाये हुए हैं। तो सभी ब्रह्मा बाप की भुजाओं में समाये हुए हो। कुछ भी हो, जैसे छोटा बच्चा क्या करता है, अगर कोई उसको कुछ भी कहता है या कुछ भी होता है तो वह माँ या बाप की बाहों में समा जायेगा। ऐसे होता है ना! तो आप भी ऐसे करो। बच्चे हो ना कि अभी बड़े हो गये हो? 100 साल का भी बाप के आगे तो छोटा बच्चा ही है। तो आपको भी कुछ भी हो ना, बस ब्रह्मा बाप की बाहों में समा जाओ, बस। ये तो सहज है ना?

अच्छा, ये तो है डायमण्ड जुबली की बातें। अभी साथ में आज नया वर्ष भी मनायेंगे ना? तो 12 बजे ये साल पूरा होगा। अभी है थोड़ा टाइम। अभी पुराने साल में बैठे हैं लेकिन नया साल मना रहे हैं। इसके लिये आये हैं ना? डबल विदेशी ज्यादा क्यों आये हो? वैसे तो इण्डिया का टर्न है, डबल विदेशी क्यों आये हो? न्यू इयर मनाने के लिये, क्रिसमस मनाने के लिए। बापदादा को अच्छा लगता है डबल विदेशियों से चिटचैट करने में। तो नया वर्ष भी मनाना है तो पुराने वर्ष को क्या करेंगे? विदाई देंगे। बस सिर्फ मुख से कह दिया विदाई देंगे। या चित्र बनायेंगे वो जा रहा है, वो आ रहा है? पुराने वर्ष को विदाई कैसे देंगे? सिर्फ गीत गायेंगे, नाचेंगे, कूदेंगे! काम क्या करेंगे? देखो साल समाप्त हो रहा है वो विदाई ले रहा है फिर ये वर्ष कब आयेगा? (5 हज़ार वर्ष के बाद) तो ये पांच हज़ार वर्ष के लिये आपसे विदाई लेगा! जो विदाई लेता है उसको भी कुछ दिया जाता है। देखो आप लोग भी जाने वाले होते हो तो आपको विदाई की गिफ्ट मिलती है, तो आप इस पुराने वर्ष को क्या देंगे? कुछ देंगे या खाली भेज देंगे-जाओ, जाओ। क्या देंगे? पुराने को क्या अच्छा लगेगा? पुरानी चीज़। (कमज़ोरी देंगे) बापदादा ने देख् कि कमज़ोरी देते तो हो लेकिन फिर वापस ले लेते हो। देखो, वो (वर्ष) अक्ल वाला है जो पांच हज़ार वर्ष के पहले वापस नहीं आयेगा और आप पुरानी चीजें वापस क्यों लेते हो? चिटकी लिखकर देंगे-हाँ.. बाबा, बस, क्रोध मुक्त हो जायेंगे.... बहुत अच्छा लिखते हैं और रूहरिहान भी करते हैं तो बहुत अच्छा कांध हिलाते हैं, हाँ, हाँ करते हैं। फिर पता नहीं क्यों वापस ले लेते हैं। पुरानी चीजों से प्रीत रखते हैं। फिर कहते हैं हमने तो छोड़ दिया वो हमको नहीं छोड़ती हैं। बाप कहते हैं आप चल रहे हो और चलते हुए कोई कांटा या ऐसी चीज़ आपके पीछे चिपक जाती है तो आप क्या करेंगे? ये सोचेंगे कि ये मुझे छोड़े या मैं छोडूँ? कौन छोड़ेगा? अच्छा, अगर फिर भी वो हवा में उड़ती हुई आपके पास आ जाये तो फिर क्या करेंगे? फिर रख देंगे या फेंक देंगे? फेकेंगे ना? तो ये चीज़ क्यों नहीं फेंकते? अगर गलती से आ भी गई तो जब आपको पसन्द नहीं है और वो चीज़ आपके पास फिर से आती है तो क्या आप वो चीज सम्भाल कर रखेंगे? कोई भी किसको ग़लती से भी अगर कोई खराब चीज़ दे देवे तो क्या उसे आलमारी में सजाकर रखेंगे? फेंक देंगे ना? उसकी फिर से शक्ल भी नहीं दिखाई दे, ऐसे फेंकेंगे। तो ये फिर क्यों वापस लेते हो? बापदादा की ये श्रीमत है क्या कि वापस लो? फिर क्यों लेते हो? वो तो वापस आयेगी क्योंकि उसका आपसे प्यार है लेकिन आपका प्यार नहीं है। उसको आप अच्छे लगते हो और आपको वो अच्छा नहीं लगता है तो क्या करना पड़े? तो बापदादा सभी बच्चों को कहते हैं पुराने वर्ष को विदाई देना अर्थात् जो बातें दिल में सोची है ना, कितनी बातों का इशारा दिया? कितनी बातें हैं, ज्यादा है क्या? (8 बातें हैं) तो विदाई के साथ इन आठ को ही अच्छी तरह से सजाधजा कर विदाई दे दो। समझा? दे सकते हो? हिम्मत है देने की? (हाँ जी) बापदादा को सबसे अच्छा लगता है कि हाँ जी बहुत जल्दी करते हैं।

तो अभी जब वर्ष, पांच हज़ार वर्ष के लिये विदाई लेता है तो आप कम से कम ये छोटा सा ब्राह्मण जन्म एक ही जन्म है, ज्यादा नहीं है, एक ही है और उसमें भी कल का भरोसा नहीं तो वो पांच हज़ार की विदाई लेता है तो आप कम से कम एक जन्म के लिए तो विदाई दो। दे सकते हो? हाँ जी तो करते हो। लेकिन जिस समय वो वापस आती है तो सोचते हो - बड़ा मुश्किल लगता है, छूटता ही नहीं है, क्या करें! छोड़ो तो छूटे। वो नहीं छूटेगा, आप छोड़ो तो छूटेगा। क्योंकि आपने उनसे प्यार बहुत कर लिया है तो वो नहीं छोड़ेगा, आपको छोड़ना पड़ेगा। तो पुराने वर्ष को इस विधि से दृढ़ संकल्प और सम्पूर्ण निश्चय, इस ट्रे में ये आठ ही बातें सजा कर उसको दे दो तो फिर वापस नहीं आयेंगी, निश्चय को हिलाओ नहीं। निश्चय हिल जाता है - क्या हुआ, हो जायेगा, अभी दो हज़ार वर्ष पूरे हुए नहीं, दो हज़ार तक ठीक हो जायेगा.... ये है निश्चय में अलबेलापन। बापदादा को भी बहुत अच्छी-अच्छी बातें कहते हैं-बाबा आप फिक्र नहीं करो, दो हज़ार में पूरा हो जायेगा। अभी थोड़ा-थोड़ा....। लेकिन दो हज़ार की डेट तो बाप ने दी नहीं है, तो ऐसे न हो कि आप दो हज़ार का इन्तज़ार करते रहो और नई दुनिया का इन्तज़ाम पहले से हो जाये। इसीलिये अलबेले मत बनना। रिवाइज़ करो, बार-बार रिवाइज़ करो। क्यों भूल जाते हो? जब कोई काम शुरू करते हो ना तो बहुत अच्छा सोचते हो - मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ, ये भी आत्मा है, आत्मा शरीर से ये काम करा रही है, शुरू ऐसे करते हो। लेकिन काम करते-करते आत्मा मर्ज हो जाती है। आप जो काम करते हो, उसमें हाथ तो चलता ही है लेकिन मन-बुद्धि सहित अपने को बिज़ी कर देते हो। भल बॉडी कान्सेस कम होते हो लेकिन एक्शन कॉन्सेस ज्यादा हो जाते हो। फिर कहते हो बाबा मेरे से कुछ गलती नहीं हुई, मैंने किसको कुछ नहीं कहा, लेकिन बापदादा कहते हैं कि मानो आप बॉडी कान्सेस नहीं हो, एक्शन कान्सेस हो और उसी समय कुछ हो जाये तो रिज़ल्ट क्या होगी? सोल कान्सेस जितना तो नहीं मिलेगा। तो इसकी विधि है बार-बार रिवाइज़ करो, बार-बार चेक करो। जब काम पूरा होता है फिर आप सोचते हो, लेकिन नहीं, जब तक नेचरल सोल कान्सेस हो जाओ तब तक ये सहज विधि है बार-बार रिवाइज़ करना। रिवाइज़ करेंगे तो जो पीछे सोचना पड़ता है वो नहीं होगा। तो रिवाइज़ करने का टाइम है कि बहुत बिज़ी रहते हो? कभी भी अपना चार्ट चेक करते हो तो दो बातें चेक करो। एक बात नहीं। मैंने बुरा नहीं किया अर्थात् कुछ गँवाया नहीं, वो तो ठीक हुआ लेकिन जमा कितना किया? गँवाया नहीं इसकी तो मुबारक हो। लेकिन गँवाया भी नहीं और कमाया भी नहीं तो वो किस लिस्ट में जायेगा? तो चेक करो कि मैंने जमा कितना किया? जमा का खाता चेक करो। क्योंकि सारा कल्प चाहे राज्य करेंगे, चाहे पूजे जायेंगे लेकिन जमा अभी करना है या द्वापर में या सतयुग में करेंगे? तो ये चेक करो कि मैंने जमा कितना किया? कम से कम इतना तो जमा करो जो 21 जन्म रॉयल फैमिली में प्रालब्ध भोगते रहो। अगर कम जमा होगा तो त्रेता में आयेंगे, सतयुग मिस करेंगे। त्रेता में आना पसन्द है? सारा पहला-पहला सुख तो सूर्यवंशी ले लेंगे, चन्द्रवंशियों को बाद में बचा हुआ मिलेगा। तो जमा का खाता चेक करो। सारे दिन में ज्यादा से ज्यादा जमा हो तो सहज ही आप निर्विघ्न हो ही जायेंगे और फरिश्ते रूप में स्थित हो जायेंगे। तो विधि क्या हुई? हर घण्टे रिवाइज़ करो। कौन-सी कान्सेस रहे? कर सकते हो? हो सकता है?

बापदादा ने सबका चार्ट चेक किया तो टोटल 50 परसेन्ट बच्चे दूसरों को देख स्वयं अलबेले रहते हैं। कहाँ-कहाँ अच्छे-अच्छे बच्चे भी अलबेलेपन में बहुत आते हैं। ये तो होता ही है..... ये तो चलता ही है.... चलने दो... सभी चलते हैं.... बापदादा को हंसी आती है कि क्या अगर एक ने ठोकर खाई तो उसको देखकर आप अलबेलेपन में आकर ठोकर खाते हो, ये समझदारी है? तो इस अलबेलेपन का पश्चाताप बहुत-बहुत-बहुत बड़ा है। अभी बड़ी बात नहीं लगती है, हाँ चलो... लेकिन बापदादा सब देखते हैं कि कितने अलबेले होते हैं, कितने औरों को नीचे जाने में फॉलो करते हैं? तो बापदादा को बहुत रहम आता है कि पश्चाताप की घड़ियाँ कितनी कठिन होगी। इसलिए अलबेलेपन की लहर को, दूसरों को देखने की लहर को इस पुराने वर्ष में मन से विदाई दो। जब थोड़ा उमंग-उत्साह आता है ना तो थोड़े समय के लिए वैराग्य आता है लेकिन वो अल्पकाल का वैराग्य होता है। इसलिए जो बापदादा ने मुक्त होने की बातें सुनाई हैं, उसके ऊपर बहुत अटेन्शन देना। जितने पुराने होते हैं ना तो देखा गया है कि पुरानों में अलबेलापन ज्यादा आता है। जो पहले-पहले का जोश, उमंग होता है, वो नहीं होता है। पढ़ाई का भी अलबेलापन आ जाता है, सब सुन लिया, समझ लिया। सोचो, अगर समझ लिया, सोच लिया तो बापदादा पढ़ाई पूरी कर देते। जब स्टूडेन्ट पढ़ चुके तो फिर क्यों पढ़ाई पढ़ाये? फिर तो समाप्त कर दें ना! लेकिन इस अलबेलेपन को अच्छी तरह से विदाई दो। औरों को नहीं देखो। बाप को देखो। ब्रह्मा बाप को देखो। अगर कोई ठोकर खाता है तो महारथी का काम है ठोकर से बचाना, न कि खुद फॉलो करना। तो पुराने वर्ष को अच्छी तरह से विदाई देंगे ना? अभी कितना बजा है? पौने दस। अच्छा! तो अभी दो घण्टे हैं, दो घण्टे में विदाई का सामान तैयार कर दो। बापदादा देखेंगे कि बाप को गिफ्ट देने में ज्यादा नम्बर डबल विदेशी लेते हैं या भारत वाले लेते हैं? दोनों लेंगे ना? हाँ या ना बोलो। अच्छा, डबल विदेशी कितने देशों से आये हैं? (36) और भारत के कितने ज़ोन आये? (पांच) भारत के पांच ज़ोन से आये हैं और वो 36 देशों से आये हैं। डबल विदेशी सदा बापदादा को अपना साथी समझकर साथ रहते हैं ना। जितना नाम है विदेश, उतना ही साथ भी बाप का नज़दीक अनुभव करते हो? क्योंकि जब तक बाप साथ है तो माया भी बाप का साथ देखकर दूर से ही भाग जाती है। अकेले होते हो तो माया को चांस मिलता है। अकेले नहीं हो तो माया को चांस मिल नहीं सकता। और जब बाप स्वयं ऑफर करता है कि मैं बच्चों का साथी हूँ तो भगवान की ऑफर सारे कल्प में फिर मिलेगी? तो स्वयं बाप की ऑफर है - साथ रहो। कोई भी मुश्किल बात साथ से सहज हो जाती है। तो साथ का अनुभव होता है? डबल विदेशी ब्राह्मण परिवार का विशेष श्रृंगार हैं। जैसे आज विशेष श्रृंगार किया है ना। (पूरी स्टेज सुगन्धित फूल मालाओं से सजाई गई है) अच्छा लगता है ना! तो आप लोग भी एक- एक रत्न ब्राह्मण परिवार का श्रृंगार हो। तो श्रृंगार कभी गिर नहीं जाये, श्रृंगार गिर गया तो कैसे लगेगा? अभी श्रृंगार किया है और गिर जाये तो क्या अच्छा लगेगा? सदैव समझो कि हम ब्राह्मण परिवार के ताज के हीरे हैं। तो ताज से एक भी हीरा गिर जाये तो अच्छा लगेगा? तो इतना अपना महत्व समझो। साधारण नहीं समझो, महान् हो।

अच्छा है, चारों ओर से सेवा के समाचार भी बहुत अच्छे आते रहते हैं। भारत के अपने प्रोग्राम हैं, विदेश के अपने हैं। तो सेवा में अपने को बिज़ी रखते हैं और सदा रखना भी है। सेवा सेफ्टी का साधन है। जितना अपने को बिज़ी रखेंगे उतना सेफ रहेंगे। समझा?

(विदेश से सिन्धी भाई-बहिनों का ग्रुप आया है, बापदादा ने सभी को आगे बुलाकर बिठाया) इतना बड़ा ब्राह्मण परिवार देख खुशी होती है? देखो कितने हैं आपके परिवार में! और सारा परिवार चुने हुए श्रेष्ठ आत्माओं का है। तो भारत वाले आप लोगों को देखकर खुश होते हैं क्योंकि खास जो बरखिलाफ थे वो फेवर में हो गये। सिन्ध में काके, चाचे, मामे, गायन भी है मामा, काका, चाचा ... तो उन्हीं परिवार से निकल आये। तो कितने लक्की हो। सिन्धी लोग बहुत बरखिलाफ थे ना और अभी नज़दीक आये हैं इसीलिये इस ग्रुप को नज़दीक बिठाया है। आपका ग्रुप सब खुश है? अच्छा।

सभी डबल विदेशी सदा बाप के साथी हैं इसीलिये साथी का स्थान कौन सा है? साथी कहाँ रहते हैं? दिलतख्त पर। तो रहते हो या कभी-कभी उतर आते हो? सदा बाप के साथी हैं, इसीलिये तख्त नशीन हैं, अधिकार है तख्त पर। जो साथी होता है, मानो राजा है, अभी राजा तख्त पर बैठेगा तो रानी अधिकारी है ना। क्योंकि साथी है। तो आप सभी डबल विदेशी साथी हो ना? तो आपका दिलतख्त संगमयुग का अधिकार है। इसका मतलब ये नहीं है कि भारतवासी नहीं हैं। अभी डबल विदेशियों से बात कर रहे हैं इसलिये डबल विदेशी कह रहे हैं, बाकी जो भी साथी हैं वो सब अधिकारी हैं। फिर भी दौड़- धूप करके पहुँच तो जाते हो ना! तो क्या याद रखेंगे? कौन हो? साथी हैं और तख्तनशीन हैं। समझा?

भारत वासियों प्रति

भारतवासी ठीक हैं? भारतवासियों को तो नशा है कि अगर भारत में बाप नहीं आते तो विदेशी कहाँ से आते? क्योंकि बापदादा को ड्रामा में गरीब  निवाज़ कहा जाता है तो विदेश गरीब नहीं है, भारत गरीब है और बाप को गरीब पसन्द हैं। इसीलिये गरीब से गरीब भारत में आया, लण्डन में नहीं आया। अमेरिका में भी नहीं आया। भारत अविनाशी है। अविनाशी खण्ड फिर भी भारत ही होगा। ये अमेरिका तो अभी निकली है, अभी खत्म हो जायेगी। बाप अविनाशी है तो अविनाशी खण्ड में ही आता है। भारत को नशा भी बहुत है। भारत को सबसे बड़ा नशा है कि हमने भगवान को भी अपने प्यार के रस्सी में बांध लिया है। देखो अभी भी भारत में आते हैं ना। आप सबको भी भारत में मिलने आना है। तो भारत भी कम नहीं और विदेश भी कम नहीं। दोनों लाडले हैं। अच्छा।

(सिन्धी भाई-बहिनों से) कितने आये हैं? 70 आये हैं। अभी फिर माला पूरी करके आयेंगे। दो प्रकार के आये हैं। लेकिन आते-आते आखिर जायेंगे कहाँ? कितना भी कोशिश करें किनारे करने की, लेकिन नहीं हो सकता। बाप को छोड़ सकते हो? बाप कहे आप नहीं आओ फिर क्या करेंगे? (आयेंगे) क्यों आयेंगे? बाप कहे नहीं आओ फिर भी आयेंगे क्यों? कहो अधिकार है मेरा। मेरा घर है, मेरा बाप है। तो अधिकार है। सोचते हैं बाबा मिलेगा, नहीं मिलेगा, देखेगा, नहीं देखेगा...। देख लिया ना! अभी इन्हों को सभी सिन्धियों को जगाना है। सब ओर जग रहे हैं। जितना बड़ा करना चाहो करो। ऐसी सीज़न में करो जो सब होटल पहले से बुक कर लें। जिस होटल में भी जायें तो ब्रह्माकुमारियों का हो। जगाना तो सबको है और भारत में तो जगाने के बहुत अच्छे-अच्छे प्रोग्राम रखे हैं। बापदादा के पास सब समाचार आये हैं कि भारत जम्प लगा रहा है कि भारत में कोने-कोने में सन्देश मिल जाये। कोई रह नहीं जाये। तो ये बहुत अच्छी बात है। उलहना पूरा हो जायेगा।

यूथ से

यूथ की रिट्रीट चल रही है। देश-विदेश का मिलकर प्रोग्राम हो रहा है। इनका टीचर कौन है? तो अच्छा लगता है यूथ को? स्टूडेन्ट भी राजी और टीचर भी राजी, दोनों राजी। अच्छा। बहुत अच्छा प्रॉमिस किया है, पक्का रखना। सभी ने मिलकर जो प्रॉमिस किया है वो मुख से बोलो। (सभी ने बोलकर प्रॉमिस की) बहुत अच्छा, ताली बजाओ। अच्छा। देखो ऐसे देश-विदेश के यूथ इकट्ठे होकर कमाल करके दिखायें तो गवर्नमेंट क्या करेगी? जब देखेगी कि देश-विदेश के सब मिलकर दृढ़ संकल्प किया है तो आप यूथ के संकल्प के आगे आपेही सरेण्डर हो जायेंगे। कभी प्रोग्राम बनायेंगे तो देशविदेश के यूथ इण्डिया की गवर्नमेंट को जगायेंगे। वो भी खुश होंगे। अच्छा!

चारों ओर के चमकते हुए सच्चे डायमण्डस को, सदा निश्चय और दृढ़ संकल्प द्वारा स्वयं को सच्चा डायमण्ड बनाए औरों को बनाने वाले, सदा बापदादा के समान डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप में स्थित होने वाले श्रेष्ठ आत्मायें, सदा बाप और सेवा दोनों में बिज़ी रहने वाले मायाजीत सो विश्व के राज्य-भाग्य जीत, ऐसे संगमयुगी डायमण्ड्स को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते।

देखो, यह यहाँ का रिवाज़ है 12 बजे बेल बजेगा, तो बापदादा को बच्चों की बात रखनी पड़ती है। वैसे तो 11 बजे बेल लगाओ या 12 बजे। ब्राह्मण नहीं मनायेंगे तो कौन मनायेंगे!

(डायमण्ड जुबली के उपलक्ष्य में बच्चों ने गीत गाये, नये वर्ष की बधाइयाँ दी, कार्ड आदि बापदादा को दिये, तत्पश्चात् नये वर्ष का शुभारम्भ होते ही बापदादा ने सभी को बधाइयाँ दी)

आज के दिन डबल मुबारक है। एक नये वर्ष की और दूसरी डायमण्ड जुबली वर्ष की। तो सदा इस वर्ष को अपने दोनों स्वरूप एक डबल लाइट फरिश्ता और दूसरा सच्चा डायमण्ड, बेदाग डायमण्ड, अमूल्य डायमण्ड। तो डायमण्ड बनकर अनेक आत्माओं को डायमण्ड बनाना - यही इस वर्ष का लक्ष्य है। और बापदादा जानते हैं कि ब्राह्मण बच्चे लक्ष्य और लक्षण को साथ-साथ करके दिखाते हैं। तो ये डायमण्ड जुबली वर्ष अनेक आत्माओं के, बाप के समीप आने का वर्ष है। और साथ-साथ यह वर्ष सहज बाप के साथ रहने से सहज ही प्राप्ति का वर्ष है। इसलिए चारों ओर के बच्चे इस सहज वरदान का पूरा-पूरा लाभ लेंगे और औरों को दिलायेंगे। डायमण्ड गुडनाइट और गुडमोर्निंग दोनों।

चारों ओर के बच्चों के बहुत खुशी और उमंग-उत्साह के कार्ड मिले, पत्र भी मिले और सभी को रिटर्न में डबल प्यार और मुबारक हो।

(4 जनवरी को तलहटी में बहुत बड़े हाल का फाउण्डेशन स्टोन लगा रहे हैं, यह समाचार बापदादा को सुनाया गया)

जब डायमण्ड जुबली में सेवा करेंगे तो उन्हों को बैठने के लिए जगह बनाई है कि आप बाहर बैठेंगे उन्हों को अन्दर बिठायेंगे, क्या करेंगे? आप अन्दर ही बैठेंगे, बाहर नहीं। अगर बाहर माइक में सुनने आये तो अन्दर बैठेंगे? तो क्या करना पड़े? इसी शुभ संकल्प से अभी नीचे ज्यादा में ज्यादा मिल सके, बैठ सके, उसके लिए पहले स्टेज का फाउण्डेशन डाल रहे हैं और सभी डालेंगे ना। चारों ओर के देश-विदेश के बच्चों के अंगुली से जब ज्ञान सरोवर बन गया तो ये तो उसके आगे कुछ भी नहीं है। वो तो सभी के संकल्प और सहयोग से सहज से सहज बनना ही है। आपको पसन्द है? डबल विदेशियों को ज्यादा अच्छा लगता है कि भारतवासियों को अच्छा लगता है? दोनों को अच्छा लगता। तो फिर फाउण्डेशन डालना अर्थात् अंगुली देना। पहाड़ तो उठा ही पड़ा है। ठीक है ना? देश और विदेश का संगठन का मेला है तो देश और विदेश दोनों मिलकर जो फाउण्डेशन डालेंगे वो कितना अच्छा होगा! तो जो भी होंगे उन सबके तरफ से उस धरनी पर स्नेह से फाउण्डेशन डालेंगे। अच्छा!